अब कुछ नहीं रहा कमाने को
शाम हुई मैं चल पड़ा मयखाने को
हमको फ़िक्र नहीं जब किसी की
फिर क्यूँ फिक्र है हमारी ज़माने को
प्यास के लिए समुन्दर् है हमारे पास
ज़मी आसमाँ है भूख मिटाने को
भूल बैठा हूँ मै तुझको कुछ यूँ
पर भुला तो नहीं था भूल जाने को
कामयाबी तो कुछ नहीं मेहरबां
देखने हैं तो ज़खम रखें हैं सिरहाने को
#ShiVaN