Nmमैं और मेरे अह्सास
गैरमौजूदगी खटक रही थी तेरी आशियाने को l
रह रह के याद आ रहीं थी तेरी आशियाने को ll
एक दिन शिकायतें तेरी कर दी जाके ख़ुदा को l
साथ मांगा तेरा तुरंत तथास्तु कहा आशियाने को ll
कई बर्षों इंतजार किया इंसान के लौटने का l
आश टूटने,आखरी कदम लेना पड़ा आशियाने को ll
दर्शिता