जिन्दगी की यादों को 'DELETE' करने का भी 'OPTION' जरूर रखा कर , ऐ जिन्दगी देने वाले,,,,
दर्द देता है बहुत और बर्दाश्त से बाहर हो जाता है फिर से अपनी 'बेवकूफी ए वफा' को पढ़ना,,,
क्यूँकी,,,आदत से मजबूर दिल ये, पुराने पन्ने पलट ही लेता है,,
-Khushboo bhardwaj "ranu"