समुद्र की गहराइयों से गहरा है प्यार मेरा
क्या कभी दिल की गहराइयों से तुम भी मुझे चाहोगे।
दिन रात करते हैं हम तेरी इबादत
क्या कभी मेरे सजदे में तुम भी झुक पाओगे।
मेरा कतरा कतरा डूबा है तेरे इश्क में
क्या कभी मेरे प्यार में तुम भी यूं डूब पाओगे।
बिन कहे पढ़ लेते हैं तेरे दिल के हर जज्बात
क्या कभी मेरी आंखों की भाषा तुम भी पढ़ पाओगे।
सरोज ✍️
-Saroj Prajapati