कुछ भी समझ नहीं आता हैना,,,
जब प्यार, परिवार, दौलत, शोहरत साथ में होते हुए भी जिन्दगी में कहीं कुछ कमी रहती है,,,,
जब लाख साधन हो हँसने के चारों ओर, फिर भी आंखो के साथ दिल में भी नमी रहती है,,,
जब जिन्दगी के शोर के बीच गुजरते हुए भी खुद को एक खामोशी जकड़े रहती है,,,
सब कुछ होते हुए जिन्दगी में, कुछ भी नहीं है,
ऐ जिन्दगी, तू मुझमें तो नहीं है,, मेरी होकर भी तू दूर क्यूँ मुझसे ही रहती है!!!
-Khushboo bhardwaj "ranu"