में और आपकी याद
एक तेरी याद आती है और फिरसे काच के टुकड़ों की तरह बिखर जाते है हम।
जब छत पर जाते है तो हमारी सामनेवाली खिड़की में दो लवबर्ड्स को देखते है और आपकी याद आ जाती है।
जब बारिश होती है और बारिश कि पहेली बूंद हमारे जिस्म को छू लेता है तो लगता है कि आपही बारिश बनके बरस रहे हो तब आपकी याद आ जाती है।
जब हम बिल्कुल अकेले होते है और फोन पर गाना सुनते है तो लगता है कि वो सारे गाने में आप हो और आपकी याद आ जाती है।
जब हम कागज और कलम का क़त्ल कर देते हैं कुछ लिखने के लिए और ना जाने हर लाइन में आपका जिक्र हो जाता है और आपकी याद आ जाती है।
दिन तो कैसे भी कट जाता है पर यह रात नहीं कटती और रात में नींद के भी टुकड़े हो जाते हैं एक-दो घंटे के बाद आंखें खुल जाती है और आपकी याद आ जाते हैं।
आपके नाम वाले शख्स को कोई और आवाज देते हैं और हमारे सामने आपकी तस्वीर खड़ी हो जाती है तब आपकी याद आती है।
काम में पूरा दिन व्यस्त रहने के लिए क्या कुछ नहीं करते? और अगर 2 मिनट भी फ्री हो गए तो होठों पर सिर्फ आपका जिक्र हो जाता है और आपकी याद आ जाती है।
मंदिर में हम जब जाते हैं और दुपट्टा से जब सिर ढक के भगवान के सामने सिर झुकाते हैं तब "पति भी तो परमेश्वर है" यह सोचते ही आपकी याद आ जाती है।
-SHITAL KEVADIYA