अब भाषण नहीं कोई, बदले का बस जुनून चाहिए ,,,
सांत्वना की थपकी नहीं,विचलित दिल को सुकून चाहिए!!!
आँच ठण्डी हो पाए उन चिताओं की,पहले उससे एक बड़ा असर चाहिए ,,,
शहीदों की अस्थियां विसर्जित हो, तब तक मुझे हत्यारों के सिर चाहिए !!!
बहुत हो चुका सेना के शौर्य में सिर्फ यूँ तारीफें पढ़ना,,
जहां खून बहा मेरे भाइयों का,कब्जे में अब वो 'लालगढ'
चाहिए !!!
धधकती ज्वाला सीने में विकट,अब इसे शान्त होना नहीं,,,
हर शत्रु के रक्त से नहाया, मेरे हर भारत वीर का मुझे अब शस्त्र चाहिए !!!
रक्तबीज से फैले हैं जो ये,, भारत माँ की छाती पर विचरते,,,
संहार करने को इनका, वीरों के हाथों में माँ काली का खड़ग और खप्पर चाहिए !!!!
""khushboo ""