Hindi Quote in Poem by Ambika Jha

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"क़लम समझे मेरी भाषा" ✒️

"हमारी कलम,
समझे मेरी भाषा,
अंतर्मन की हर परिभाषा,
कभी दर्द दिल के
पन्नों पर उतारे।
कभी शब्दों के मोती
मन को लुभावे।
कभी-कभी करे मनमानी,
लिखने बैठूं ग़ज़ल
लिख जाती कहानी।
कभी मन में जब खिले
खुशियों के फूल।
खुद ही कलम चले
रचना की ओर।
कभी लिख दी पीर पुरानी।
कभी ठिठोली करे मनमानी।
कभी स्वछंद घटा बन जाए।
कभी-कभी लोरी गा कर सूनाऐ।
हमारी कलम समझे मेरी भाषा।
अंतर्मन की हर परिभाषा।
जब नारी पर हो अत्याचार
रो-रोकर कलम,
पन्नों पर बिखर जाए।
जब सुने मिठी किलकारी
बधाई की तरंग बन
साँसों में घुल जाए।
लिखावट कलम से
घर आँगन गुनगुनाए।
सीमा पर तैनात सिपाही का
हौसला बढ़ाये,
साजन के इंतजार में,
सजनी का मन बहलाये,
कभी-कभी चिठ्ठी में
दिल की बात लिखकर,
साजन तक पहुंचाए।
कभी शब्दों में सिमटकर
प्रभु के भजन में समाए।
कभी आरती कभी कथा
भावार्थ संग समझाए,
हमारी कलम समझे मेरी भाषा।
अंतर्मन की हर परिभाषा।।
खुशी हो या ग़म या हो आँखें नम,
कर्म पथ पर चले साथ-साथ हम।।"

     अम्बिका झा ✍️

-Ambika Jha

Hindi Poem by Ambika Jha : 111669537
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