"ज़रूरत के वक्त मिलते नहीं"
"ज़रूरत के वक्त तुम मिलते नहीं,
कहते हो काम बहुत है सुनते नहीं।
फुर्सत में तुमको बुलाये हम कैसे,
हम अजनबीयों को बुलाते नहीं।।
तेरा साथ होता तो हमें क्या कमी,
सारे हैं अपने बस तुम्हीं अजनबी।
कहते हो रिश्ता है पिछले जन्म का,
अगले जन्म कि भी तुमको फिक्र है,
पर इस जन्म को निभाते नहीं हो।।
उड़ते हो हरदम ,आसमान है तुम्हारा
पर कदम धरती पर टिकते नहीं हैं।।
कल भी तुम्हीं थे और कल भी रहोगे,
पर कभी आज पे तुम आते नहीं हो।
तुम्हीं मेरी नैया, तुम्हीं हो खेवैया,
पर पतवार साथ कभी लाते नहीं।
तुम्हीं मेरे दिल हो तुम्हीं मेरी धड़कन,
पर सांसो में तुम तो समाते नहीं हो।।
तुम्हीं मेरे ग़म हो तुम्हीं से खुशी है,
पर होठों पर मुस्कान लाते नहीं हो।।"
अम्बिका झा ✍️
-Ambika Jha