#ચાતક ...✍
# बिना गलती की सजा क्यूं?????
....बेटी का दर्द....
जबान उसकी चुप थी
नजर जैसे थम गई थी
वो जिंदा लाश बने खड़ी थी
इतनी खुश रहने वाली
लड़की आज क्यों चुप थी
कोई तो पूछो दोस्त ऐसे क्यों खड़ी थी
बड़ी हिम्मत जुटा रही थी
उसकी आंखें रो रही थी
अचानक से चिल्लाई थी
जैसे सारे पत्थर तोड़ दे वैसे चीख़ थी
कोई भेड़िया आया है
हैवानियत नजर में भरी थी
नोच कर खाये जा रहा था
कोई तो बताओ मेरी गलती क्या थी
लाचार होके बेहोश पड़ी हुई थी
जब होश में आई तो जिंदा मरी थी
सबको लाचारी से देख रही थी
कौन भेड़िया था पूछो कोई मनोमन वह बोली थी
हिम्मत से ही उसने उंगली उठाई है
भेड़िया के सामने की थी
भेड़िया और ना कोई है
अपना बना था जैसे कह रही थी
सब ने उसकी एक न सुनी थी
इज्जत बचाने की सबको पड़ी थी
सब ने अपने को बचाने के लिए
बेटी की इज्जत सब ने उछाली थी
न्याय के लिए बेटी रो रही थी
जैसे मौत को भेंट रही थी
बिन मां की बेटी जैसे आज अनाथ हुई थी
लोटा आ मेरी माँ तू यहां
आज तेरी बेटी जैसे गुम हो रही थी
आखिर में हारी थी थकी थी
जैसे आज कफन में जिंदा सोई हुई थी
भेड़िया आज भी आजाद था
बिना गलती की सजा बेटी को सुनाई थी
भेड़िया जब तू मरेगा देखना
तुझे कौवे नोच खाएगा
तू भी तड़पेगा जैसे बेटी तड़पती थी
लानत है तेरे मर्द होने पर तुझ से तो अच्छा किन्नर था
आखिर उस बेटी की गलती क्या थी......?????
Patel Nirupa 'ચાતક'