तुम ना हो तो ज़िदगी कैसी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बेअसर सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बेरंग सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी वीरान सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बंजर सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बदनसीब सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बेवजह सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी कोरे कागज़ सी लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी बिना साही सी क़लम लगती है,
तुम ना हो तो ज़िदगी ज़िदगी नहीं कोई सज़ा सी लगती है....
-Deeps Gadhvi