My Sorrowful Poem ...!!!
डूबी है मेरी उँगलियाँ
मेरे ही अपने लहू में ...
यह काँच के टुकड़ों पे
भरोसे की शायद सज़ा है ...
क़रीबी भी यारों बीमारी है
दूरियाँ बनाए रखना लाज़मी है ...
ज़्यादा क़रीब आने से वजूद ही
अपना मानौ बे-वजूद हो जाता है ..
अँधें यक़ीं का सिला भी तो मौत है
एसे ही तो मौतके कुएँ डायसने भरे थे ..
एसे ही जलियाँवाला बाग़ बना समाधि।
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