Hindi Quote in Poem by Arjun Allahabadi

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चलता रहा बाप अंगारों पर फिर भी कदम उसने रोका नही।
पेट काट कर देता रहा पैसा मग़र उसने कभी टोका नहीं।

क्या सर्दी क्या गर्मी सब में वो जीने का हुनर जानता था।
परिश्रम करता था ,मग़र फल के बारे में कभी सोचा नहीं।

मुफ़्लिशि के दौर में कोई भला कहाँ किसी के यहां जाता है
जब अभावों से रिश्ता हो तो कभी दाल तो कभी आटा नहीं।

शायद बेटा पढ़ लिख कर आदमी बन जाये चार पैसे का।
यह सच है कि अक्सर सोचा हुआ काम कभी होता नहीं।

गर खो जाएं अपने तो उन्हें ढूंढने का प्रयास भी करते हैं।
लेकिन कोई खो जाए अगर जानबूझकर तो वह आता नहीं।

-Arjun Allahabadi

Hindi Poem by Arjun Allahabadi : 111654011
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