किसी से क्यों करें शिकवा,
क्यूं दूसरों को बदलना चाहें,
आओ जरा हम ही बदल जाएं।
बदले जरा सोच अपनी,
विचारों में परिवर्तन लाएं,
क्यों चाहें कि हर कोई समझे मुझको,
आओ कभी हम दूसरों को भी समझ आएं।
अपना नजरिया क्यों थोपें सब पर,
कभी दूसरों के नजरिए से भी दुनिया देख आएं।
आओ जरा खुद ही बदल जाएं।
-Pragya Chandna