हास्य व्यंग काव्य- "प्याज मांग रही है"
इस दौर में पति हो गया बेहाल,
घरवाली मूलधन ब्याज मांगती है।
उपहार मांगने की प्रथा पुरानी यहां,
चूड़ी बिंदिया सिंगर ताज मांग रही।
दौर है महंगाई वाला इतना विकराल,
बीवी जो कभी ना मांगती थी वो,
आज मांग रही है मुझ से वो।
सोना नहीं चांदी नहीं गहनों के बदले में,
इस करवा चौथ पर "मित्र" प्याज मांग रही है।
✍️मनिष कुमार "मित्र" 🙏