मिट जाने से पहेले ख्वाब को सजाना है
गीले शिकवे भुलाने है रूठे हुए को मनाना है
रोने वाले को हँसाना है नाखुश को खुश करना है
दर्द वाले को दर्द हीन करना है
तभी तो दस्तक दिए द्वार पर हम
बिना लड़खड़ाए खड़े रह पाएंगे क्योंकि
सामने कर्म का शहेंशाह जो खड़ा होगा
प्रिन्ट लिए हमारे लेखाजोखा की
-Shree...Ripal Vyas