जिन्हें चाय से लगाव होता है...
समझ लेना कोई तो घाव होता है...
घूँट-घूँट में लेते है जिंदगी का मजा...
दौड़ते वक़्त में यही ठहराव होता है...
भांप बनकर पिघलती है जब यादें...
ठंडे हुए रिश्तों में यही अलाव होता है...
जहां कोई पूछ ले चाय पिओगे...??
बस अपना तो वहीं झुकाव होता है....
उम्र के साथ बदली है यूँ तो कई बातें...
मगर चाय से इश्क़ एक मुक्कमल पड़ाव होता है।
-SADIKOT MUFADDAL 》 Mötäbhäï 《