बावरे से मन की बावरी सी हैं बातें
रूठे हैं जिस बैरी पिया से हम
करना चाहे ये उनसे ही मुलाकाते।
चलता नहीं इस पर मेरा कोई जोर
उडता फिरे जैसे कोई पतंग बिन डोर
बावरे से मन की बावरी सी हैं बातें।
करना चाहूं जितना इसे मैं काबू
उतना ही बैरी इत उत ये हवा सा भागे
बावरे से मन की , बावरी सी हैं बातें।।
सरोज ✍️
-Saroj Prajapati