"कहने को तुम हमारे हो
पर दिल से दूर हो बहुत
करते हो मोहब्बत मुझसे
पर कभी जूबां से कहते नहीं।
दिखती है आँखों में नमी,
होठों पर शिकायतों की कमी नहीं।
नम आँखें हैं गम से सराबोर बहुत,
लबों से कभी कुछ कहते नहीं।
मेरी आँखों में देखकर प्यार का समन्दर,
तुम हमेशा अनदेखा करते यूँ ही।
पूकारती है रूह मेरी हर पल तुमको,
क्यों सुनकर भी तुम अनसुना कर जाते हो। अभी
है चर्चा हर एक के लबों पर
हमारी मोहब्बत की।
तुम क्यों इस एहसास को मानने से,
इंकार करते हो कभी-कभी।
होता अगर किस्मत का फैसला।
तो हम उससे भी लड़ लेते,
तुम्हारी बेरूखी का कहो शूल कैसे सहें।
पास होकर भी तुम क्यों दूर हो मुझसे।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha