दिसम्बर का
इंतज़ार ख़त्म होने को है
21वीं सदी को
इक्कीसवें साल की
शुभकामनाएं देने
जनवरी सीढ़ी दर सीढ़ी
उतर रही है ...
शुभता की कामनाओं से
सजे हैं द्वार मन के,
उम्मीद ने बुलावा भेजा है
खुशियों को मंगल गीत गाने को,
आना ही होगा नव वर्ष को,
सबके आँगन …..
हर्ष और उत्कर्ष का
चर्मोत्कर्ष लिए !!!