तुं कुछ नया था बीते सौ सालों मे,
सब लोगो के जुर्म शायद जानता था तु!
कैद मै रखकर दुनियाभर के लोगों को,
बिना कोई सुनवाई सजा-ए-मौत देने का शौख पालता था तु।
मनमानी किए फिरता, बडा उद्दंड था शायद,
तभी तो किसीकी ख्वाहिशों को नही मानता था तु।
कम-स-कम जाते-जाते तो थोड़ा गम कम करजाते,
नया कोरोना दीऐ जा रहा है, पुराने वालेसे क्या कम मारता था तु?
तुं कुछ नया था बीते सौ सालों मे,
सब लोगो के जुर्म शायद जानता था तु!
#अलविदा२०२०
-Denish Jani