बचपन गुज़र गया।
"हाथ में आई पुस्तक,
खिलौना छूट गया।
और बचपन गुजर गया।
आ गई परीक्षाओं की दौड़,
सबसे आगे निकलने की होड़,
समय पंख लगा कर उड़ गया।
और बचपन गुजर गया।
चलने लगी घर में शादी के बातें,
आ गई सुनकर गालों पर लालिमा,
हाथ में आई बेलन, पुस्तक छूट गया।
और बचपन गुजर गया।।
फिर से सुरू हुए इम्तहानों के दौड़,
बहु,भाभी ,चाची और देवरानी,सबके रोल,
सब में अव्वल आने का दौड़ चला।
समय पंख लगा कर उड़ गया।
और बचपन गुजर गया।।
घर में आई एक नन्ही परी,
अंग अंग ममता से भरी,
मन विभोर तन पुलकित हुआ।
और बचपन गुजर गया।।
थाम जब मां का आंचल,
चलने को बेताब हुई।
उठ कर गिरना, गिरकर उठना,
देखकर दिल मुस्कुरा उठी,
रोम रोम हुल्लास भरा।
और बचपन गुजर गया।।
थोड़ी उलझन थोड़ी समस्या,
खट्टी मीठी तकरारों के दौर चले,
सब सुलझाने के चक्कर में,
समय पंख लगा कर उड़ गया।
और बचपन गुजर गया।।
बच्चों कि भविष्य को संवारने में,
हर ख्वाहिश पूरी करने की दौड़,
जिंदगी में संघर्षों का दौर चला।
समय पंख लगा कर उड़ गया।
और बचपन गुजर गया। ।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha