पावन सी एक दुआ
तेरे हक में
कच्चे सूत की
पक्के रँग वाली बाँध दी है
उम्मीद की गठानें मारकर!
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जब भी गूँजेंगे
मंदिर में घण्टियों के स्वर
ईश्वर को इन
मन्नतों का स्मरण
जरूर होगा
विश्वास की डोर
नेह से बंधी
डोलती रहती है आगे-पीछे
पवित्र स्पर्श से !!
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