हमारा साथ
"कौन निभाए साथ हमारा,
माँ की परी, पिता की राजकुमारी थी मैं।
ममता के आँचल की छाया,
पिता से छूटा साथ हमारा।
फिर कौन निभाए साथ हमारा।
मायके की बगिया की नाज़ुक सी कली थी मैं।
पति की सहचरी बन मायके से चली थी मैं।
जीवन के सफ़र में हमने क़दम बढ़ाया।
कहो कौन निभाए साथ हमारा।
पति की सहचरी बन स्वामी स्वीकार किया।
ससुराल को अपनाकर खुद में अंगीकृत किया।
जिम्मेदारी से जुड़ा रिश्ता हमारा
कहो कौन निभाए साथ हमारा।
कठिनाइयों से जूझती हूई क़दम आगे बढ़ाती रही।
हर रोज संघर्ष पूर्ण अनुभव से गुजरती रही।
कभी सौभाग्यवती तो कभी अभागन बनी।
फिर भी अनेक कमियों को झेलती रही।
तीखे शब्दों के बाणों सी बेधते प्रश्नों से
हर रोज का ही रहा साथ हमारा।
कहो कौन निभाए साथ हमारा।।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha