भिक्षा पात्र तो भरा जा सकता है,
परंतु ,इच्छा पात्र,भरना, बहुत ही मुश्किल है।।
पर गर इंसान मैं इच्छा सक्ती ही ना हो,
वह इंसान जीवित होकर भी शव के समान है।।
संतोष ही परम सुख है मानते हैं।
पर हृदय में इच्छा का होना भी जरूरी है जानते हैं।
धर्म-कर्म हमारे लिए महत्वपूर्ण है,
लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर कदम बढ़ाना जरूरी है।
मंजिल पर पहुंच ऊंचाइयों को छूना जरूरी है।
पर कदम धरती पर टिकाए रखना ज्यादा जरूरी है।
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha