इस बार जो मिलेंगे ,
तो अपने जैसा बना देना..
क्यों इतनी फिक्र होती है तुम्हारी,
बस थोड़ा सा बेफ़िक्र बना देना,
यूँ बीच सफ़र में तुम,
मेरा हाथ छुड़ा ना सको,
ताकी इस बार जो बिछड़ें हम,
तो तुम मुझे फ़िर रुला ना सको..
"सिर्फ तुम.. - 5" by Sarita Sharma read free on Matrubharti
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