सिर्फ रावण के पुतले को जलाया है तुमने,
हर गली चौराहे पर खड़ा रावण तो जिंदा है।
हर दशहरा रावण के पुतले को जलाते हो,
सचमुच का रावण तो तेरे मेरे सामने ही जिंदा है।
देख हैवानियत आज के रावण का,
कल का रावण भी शर्मिंदा है।
युगों-युगों से उस रावण के पुतले को
हम और तुम, जालाते हो ।
जिसने मां जानकी को छूआ भी नहीं,
उसका क्या ?जो हर रोज मर्यादा को तार तार कर
हर रोज नारी के इज्जत के साथ खैलता है।
सिर्फ रावण के पुतले को जलाया है तुमने,
पर सचमुच का रावण तो अभी जिंदा है।
किस बात की है खुशियां किस बात की हो मातम ।
देख आज के रावण के हैवानियत, का नंगा नाच
कल का रावण भी शर्मिंदा है।
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha