Hindi Quote in Poem by Manoj kumar shukla

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सजल
सीमांत -इया
पदांत - हमने
मात्रा भार -22

कैसा जीवन यूँ ही , बिता दिया हमने।
सपने जो देखे थे, भुला दिया हमने।।

माफ यदि कर देते, हम एक दूजे को,
घर अपना खुद ही, बरबाद किया हमने।

नदी किनारे रह कर, भी हम प्यासे थे,
नीर बहा आँखों से, खूब पिया हमने।

अहंकार के मद में, दोनों भरमाए,
फटे दुशाले को भी, नहीं सिया हमने।

हाथ थाम कर फेरे, सात लिए मिलकर,
संग नहीं चल पाए, छोड़ दिया हमने।

सीता का प्रतिरूप, अगर चाहा था तो,
श्री राम की* मर्यादा, भुला दिया हमने।

यादों का यह दर्प, सदा डसता रहता,
नियति के हाथों सौंप, मान लिया हमने।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "

Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111629335
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