"क्या हो गए रे सांवरिया वो बाल काले - काले?
देखे नहीं जाते ये गाल ढीले - ढाले !"
दुनिया जवानी को ही सलाम करती है। जवानी तेरा बोलबाला...
कहानियां भी ये समझती हैं कि जब तक युवाओं की बात हो, लोग पसंद करेंगे। फ़िर कन्नी काट कर कतराने लगेंगे!
इसीलिए डॉ हरिवंश राय बच्चन की कहानी कालांतर में अमिताभ बच्चन की कहानी बन जाती है। इसीलिए शक्ति कपूर की कहानी श्रद्धा कपूर में ढल जाती है। और इसीलिए जैकी श्रॉफ कुछ समय बाद टाइगर श्रॉफ बन जाते हैं!
तो प्रकाश पादुकोण ने जब दुनिया के सर्वोच्च खिताब जीत लिए तो उन्हें भी लगने लगा कि अब आराम के दिन आने चाहिएं।
...तो उनकी कहानी क्या करे? क्या अब रुक जाए?
रुकना तो उन्होंने सीखा ही नहीं था।
तो उनकी कहानी अब धीरे - धीरे दीपिका पादुकोण की कहानी बनने की राह पर चल पड़ी।
दुनिया का दस्तूर है कि दीपक से प्रकाश होता है, किंतु यहां प्रकाश से दीपिका हुई... मज़ेदार कहानी एक मस्तानी की, एक रानी की, एक दीवानी की... पढ़िए और मनाइए, आने वाला "हैप्पी न्यू ईयर"!
( ये कहानी "मातृभारती" पर "झंझावात में चिड़िया" शीर्षक से उपलब्ध है)