काव्य :- तुम्हारी यह मुसकुराहट ।
तुम्हारी यह मुस्कुराहट मुझे, पागल करके छोड़ेगी मेरी जान।
तुमसे जब पहेली बार, में एक दफा के लिए मिला था।
तुम्हारे चेहरे पे उस दिन, मैने एक प्यारी मुस्कान पाई थी।
बस उस दिन से घायल, में तुम्हारी हंसी का हो गया था।
रात-दिन बस एक ख्वाब, मेरे दिलोदिमाग में मुस्कुराता था।
यार तुम्हारी हंसी हरवक्त, मेरी नींद मुझसे चुराया करती थी।
तुम्हारी यह मुस्कुराहट मुझे, पागल करके छोड़ेगी मेरी जान।
एक मुस्कान ने जादू से, चुरा लिया मुजसे मेरा नादान दिल।
कुछ दिनों में लगने लगा, तुमसे हो गया है मुझे सच्चा इश्क।
फिर एक दिन सुबह मेरी हो गई, तुमसे मुस्कुराहटे मुलाकात।
हमारे दिल में हुआ अहेसास, और कर बैठे इजहारे मोहब्बत।
हो गई तुमसे प्यारकी दो बात, और साथ में प्यारीसी मुस्कान।
तुम्हारी यह मुस्कुराहट मुझे, पागल करके छोड़ेगी मेरी जान।
हमारी चाहत का सिलसिला, हरवक्त ऐसे ही मुस्कुराता रहेगा।
तुम्हारी यह मुस्कुराहट मुझे, पागल करके छोड़ेगी मेरी जान।