ग़ज़ल:- "ना है अभी अकेले"
ना अकेले थे कभी,
और ना है अभी अकेले हम,
पहले थे साथ हमारे वो,
अब है तन्हाइयों में यादें उनकी।
पहले थे हमसफर वो,
जब साथ थे हर वक्त हमारे,
अब बिछड़ के जी रहे हैं,
साथी है तनहाई में यादें उनकी।
बरसती बारिशों में भीग रहे थे,
और बरस रहा था उनका प्यार,
अब बिछड़ के अकेले भीग रहे हैं,
बारिश के साथ बरसती आंखें हमारी।
महकती खुशबू गुलाबो सी,
साथ छलक रही थी हंसी उनकी,
अब गुलाब सा "मित्र" का दिल मुरझाया,
तन्हाई में रो रही हंसी हमारी।
{✍️मनिष कुमार "मित्र"🙏}