Hindi Quote in Poem by मनिष कुमार मित्र"

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"ग़ज़ल"
हसरतें दिल में दबी सी रह गई,
ख्वाइशे सहमी सहमी सी रह गई ‌।

कहने को तो बहुत कहा मगर,
बातें बहुत सी अनकही रह गई ।

दिल पर पत्थर रखा था मैंने मगर ,
आंखों मेंं कुछ नमी सी रह गई ।

कोशिशें तो बहुत ही हुई मगर ,
शायद कहीं कुछ कमी सी रह गई ।

खत्म कहां हुई है सारे ताल्लुकात ,
कुछ यादें जेहन में जमी सी रह गई ।

"मित्र" को गुजरे हुए एक अरसा हुआ ,
अब नाम की ज़िंदगी सिर्फ रह गई ।

-मनिष कुमार "मित्र"

Hindi Poem by मनिष कुमार मित्र
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