"आरजू है प्रभू से मेरी ब्रह्मदत्त"
हे भगवान. आरजू और इंतजा है आपसे-- ब्रह्मदत्त
""ना किसी का फेंका हुआ मिले. ना किसी के एहसानों का दिया मिले.
ना किसी का छीना हुआ मिले. ना किसी का लूटा हुआ मिले---- न मिले मेरी चाहतों से ज्यादा कभी.
यह इच्छा है प्रभु आपसे. मेरी हर अच्छी करनी का फल मुझे मिले.
कोई दुआ मेरे लिए बेशक ना करें, पर किसी की बददुओं का मुझे बोझ ना मिले.
अच्छाई और नेकी के रास्ते पर कभी. बुराई न मुझे मिले.
मुझे नहीं चाहिए किसी की झूठी शान ओ शौकत.
मुझे बस मेरे नसीब में लिखा हुआ मिले.
ना मिला ये भी. या वो भी., तो कोई गम नही
मुझे बस मेरी मेहनत का किया हुआ. बस फल मिले..
प्रस्तुतीकरण--- ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
"आरजू है प्रभू से मेरी ब्रह्मदत्त"