*The truth behind farmers' (?) agitation:*
वेयरहाउस अमरिंदर के, मंडी समितियां बादल कीं, अब तुम किसी के पिछवाड़े पर लात मारोगे तो उसकी बवासीर तो दुखेगी ही!
Haryana Punjab farmers protesting but why? The Farm bill is not implemented in Punjab. let me tell u the factual ground facts which anyway Media don't know Read carefully. In Hindi for maximum reach
UP बिहार का किसान अपना धान 1100 से 1300 रु के बीच बेचता है ।
वहीं सरकार पंजाब हरियाणा के किसान का धान 1888rs के भाव खरीदती है । ये धान सरकार को अंततः 1960 रु में पड़ता है ।
ये धान खरीदने के लिए पैसा केंद्र सरकार देती है और किसानों से खरीद राज्य सरकार या केंद्र सरकार की विभिन्न agencies करती हैं ....... जैसे Markfed , Pungrain , Punjab State Warehousing Corp. इत्यादि .......
राज्य सरकारों की ये agencies किसान से 1960 rs के भाव से धान खरीद के Rice Millers को दे देती हैं ।
Ricemill धान कूट के चावल बना के FCI को दे देती है ।
जिस धान की कीमत ऊपी बिहार के किसान को 1000 - 1200 नही मिलती उसी धान को भारत सरकार हरियाणा पंजाब के किसान से 1960 के भाव से खरीद रही है ।
सवाल ये है कि किसान तो पूरे देश मे हैं । गेहूं धान तो देश भर पैदा कर रहा है । तो फिर हरियाणा पंजाब के किसान को ये मलाई क्यों खिलाई जा रही है ।
पंजाब हरियाणा के किसान से 1960 रु के भाव से खरीदा गया य्ये धान गेहूं भारत सरकार देश भर में PDS बोले तो राशन कार्ड पे गरीबों को सस्ते दामों पे ......2 - 4 य्या 10 रु किलो खिलाती है ।
मने मेरे आपके Tax Payer की जेब से वसूले गए Tax को भारत सरकार हरियाणा पंजाब के किसान को एक तरह की subsidy दे के पाल रही है ।
Subsidy खाने वालों की G पे चर्बी होना स्वाभाविक सी बात है ।
हरियाणा पंजाब छोड़ बाकी देश का किसान सरकारी subsidy पे नही पल रहा ।
मोदी सरकार बहुत जल्दी ये व्यवस्था लागू कर देगी जिसमे गरीब आदमी को राशन PDS मने सस्ते राशन की सरकारी दुकान से नही लेना होगा । सरकार लाभार्थी के खाते में सीधे पैसा डाल देगी , पैसे लो , open market से राशन खरीद लो । यदि ये व्यवस्था लागू हो गयी तो फिर सरकार को किसी किसान से अनाज नही खरीदना पड़ेगा । जैसे ऊपी का किसान अपना धान 1100- 1300 रु क्विंटल के भाव बेचता है , पंजाब हरियाणा का किसान भी बेचेगा ।
पंजाब का किसान भारत देश पे ये अहसान लादता रहा है कि 1965 में जब देश भूखा मर रहा था तो हमने भारत का पेट भरा । उसी की royalty ये आज 55 साल बाद भी खा रहे हैं ।
इनको याद रखना चाहिये कि पंजाब हरियाणा के अलावा भी देश में किसान हैं ।
Covid lockdown से पहले FCI के गोदाम गेहूं चावल से अटे पड़े थे । ये हाल था कि नई फसल का एक दाना रखने को जगह न थी गोदामों में । ये तो Covid Lockdown के कारण भारत सरकार ने अपने गोदाम खोल दिये और 80 करोड़ जनता को फिरी फोकट में साल भर खिला के गोदाम खाली किये तो इस सीजन में धान की खरीद हुई वरना जो हालात थे कि धान की इस फसल को सरकार हाथ न लगाती ।
आज नही तो कल ये स्थिति आनी ही है जब सरकार 1960 रु के रेट पे धान की खरीद बंद कर देगी और हरियाणा पंजाब का किसान बाकी देश के किसान के साथ आ खड़ा होगा ........ सरकारी सब्सिडी पे पलने वाले किसान इसी बात को ले के आशंकित हैं और आंदोलन कर रहे हैं ।
आने वाले समय मे फसल का रेट बाज़ार तय करेगा न कि सरकार । हरियाण पंजाब का गेहूं चावल देश का सबसे घटिया Tasteless अनाज होता है जिसे ये खुद नही खाते । ये खुद अपना गेहूं 1800 रु क्विंटल बेच के MP से 2400रु का गेहूं मंगा के खाते हैं ।
बाज़ार में ऊपी बिहार MP राजस्थान के अनाज के सामने इनका गेहूं चावल यूँ मानो भूसा खा रहे हैं ।
इस बात को ये खुद समझते हैं कि जिस दिन open market में अनाज बेचना पड़ा तो हमारे गेहूं चावल को कुत्ता नही पूछेगा ।
बाजार में तो क्वालिटी टिकेगी ।
घटिया माल / घटिया अनाज नही टिकेगा ।
पंजाब का किसान इस बात को समझता है इसलिए अपनी बादशाहत बचाने को सरकार पे दबाव डाल रहा है।
ये है किसान आंदोलन की सच्चाई और ये पंजाब हरयाणा के किसान नहीं बेचोलिये नेता है जमीन मालिक
असली किसान तो बुवाई कर रहा है
जय हिन्द
-Sanjay Singh