अभी भी वख्त है जरा सोच ले
बन स्थितप्रज्ञ अतूट विश्वासी तु
बन जा चतुर बुद्धिमता से भरा
पर रहे संवेदना से छलोछल तु
ना कपट ना छल ना रहे तरंगी
ऊर्जा से भरा बन जा उर्जित तु
मुश्किलो से भरा ये जहाँ है पर
बन हिंमत से भरा सिपाही तु
चलता रहे कर्म करता रहे क्योंकि
वख्त है अपना जरा सोच ले तु
-Shree...Ripal Vyas