🧡 फिर एक बार 🧡
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी ,
वह सान्ध्य-सुन्दरी रूप
देखा क्या किसी ने ?
सुनी क्या उसकी पग नूपुर ध्वनि ?
उसके श्यामल कुन्तल में महकते
चटक लाल गुलाबों की पंखुरियां
जब झर रहीं थीं अवनि पर,
किसी ने सहेजी क्या उनकी महक ?
कई वर्षों बाद
मैंने देखा उसे
कुछ पल ठहर कर
और वह मुस्कुरा दी
एक बार फिर
वैसे ही
जैसे मुस्कराई थी
कई वर्ष पहले !
उसका सरसराता आँचल मुझे छू कर उड़ गया
जैसे उड़ जाता है पंछी
उड़ जाते हैं वर्ष
फुर्र ......
:नीलम वर्मा 💠