#ऐसी भी क्या ज़िद
ऐसी भी क्या ज़िद
जो तुझसे और मुझसे बढ़कर हो
बता दें कोई ऐसा लम्हां
जब तेरी खामोशी ने
बैचेन मुझे ना किया हो
या
मेरी नाराजगी ने चैन तेरा ना चुराया हो
हम दोनो ही नही
एक दूजे से अलग
दिखने में है भले अलग
पर डोर तो एक है
जिससे हम बंधे है
जैसे पतंग संग डोर
क्या डोर के बिना
पतंग कभी मतवाली हो सकती है
-Vaishnav