पूरा दिन तो किसी बात, किसी काम और किसी के साथ निकल ही जाता हैं, पर रात को ना तुमसे बिना बात किए रहा नहीं जाता । जब तक मेरा पूरा दिन तुम्हें बता न दूँ कुछ अधूरा सा लगता हैं।
तुम्हें याद हैं, एक दिन तुम्हें कुछ प्यारभरी बातें करनी थी और मैं कुछ ऐसे ही बक बक किए जा रही थी ।
और तुमने मुझे कुछ ग़ुस्से में कह दिया था,
“मुझे तुम्हारा दिन नहीं सुनना दिन में हुआ कुछ ख़ास बनना हैं।”
सच बताऊँ तो बहुत प्यारा लगा था और मैं मान भी गई थी ,
पर अगर दिन में हुई दिल की कड़वाहटों के साथ तुम्हें प्यार करूँगी तो क्या वो सही होगा!
शायद नहीं , पर फिर भी तुमसे प्यार करना कैसे ग़लत हो सकता हैं यह सोच कर जाने दिया ।
पर फिर वो मुझ में कुछ ख़ालीपन सा देख, कुछ अंदर घुटन सी देख और हाँ शायद वो प्यार वाला प्यार न देख के जब तुमने बिना जताए पूछ लिया, “आज क्या किया? कैसा रहा दिन?”
बहुत अच्छी तरह से जानते हो ना तुम मुझे....
मेरे बिना कहे मेरे दिल की सभी बातें समज जाते हो।
तब समज आया यही होता हैं प्यार शायद ।
और हाँ , Human diary हो तुम मेरी । तुम्हें बिना बताए ये दिन ख़त्म नहीं होता....
~ तुम्हारी प्यारी पागल बच्ची सी पर्ल