उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
जिस भाति मुझे सड़क के बाँए ओर रखे
तुमने मेरी हिफ़ाज़त का बिन बताएँ वादा किया था
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
मेरे होंठों की मुस्कान को न देख
मेरी आँखो की अफ़्सुरदा जब तुम ने पढ़ ली थी
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
तफ़क्कुर था जो तुम्हें मुझे खोने से
की ऐसी बात करते ही रुठ ज़ाया करते थे
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
मेरी सब बक बक के सामने जो तुम बिना बोले
बस मुझे प्यार से देखा करते थे
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
मेरे होंठों के बजाये जब तुमने
मेरे मस्तिष्क को बड़े प्यार से चुमा था
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
जब मैंने तशरीह पूछी तुमसे प्रेम की
और तुमने मेरा नाम ले लिया बिना एक पल सोचे
उस पल उल्फ़त तेरे नफ़्स से हो गई थी....
-PARL MEHTA
उल्फ़त-प्यार
नफ़्स - आत्मा
हिफ़ाज़त-रक्षा
अफ़्सुरदा-उदासी
तफ़क्कुर-डर
तशरीह-व्याख्या