#कैसे भुला दूं...
भुला दूं , कैसे भुला दूं...
उन बीते दिनों को जो तेरे संग बिताये
भुला दूं, कैसे भुला दूं
उन पलों को जो तेरे संग बितायें
जिनमें सुंकू था जीने की ललक थी
सुख-दुख में साथ रहने की कसक थीं
क्यों तुम जुदा हो गये
यूं तन्हां मुझे कर गये
क्या यें सजा है होनी है या अनहोनी है
जो भी है पर यें क्यों है कैसे है
जीना अब सजा बन गया
लम्हा लम्हा भारी हो गया
उन यादों को कैसे मिटा दूँ
जो मन में घर बनाई है
जी लेने दो इन्हीं पलों को इन्हीं लम्हों को
नही कोई और गुजारिश
बस इनकों ही जीना है
इनमें ही मरना है
-Vaishnav