Geeta 📚ke Anmol vachan 📖Brahmdutta Tyagi Hapur
📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖दोस्तों मित्रों साथियों को ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ का 🕉️जय श्री कृष्णा 🕉️जय श्री कृष्णा 🕉️जय श्री राधे राधे 📚आओ दोस्तों मित्रों साथियों आज जानते हैं गीता के अनमोल वचनों से कुछ विशेष महत्वपूर्ण गीता वचन ब्रह्मदत्त
👉🙏गीता के अनमोल वचन🙏
सर्वत्र आसक्तिरहित बुद्धिवाला, स्पृहारहित और जीते हुए अंतःकरण वाला पुरुष सांख्ययोग के द्वारा उस परम नैष्कर्म्यसिद्धि को प्राप्त होता है
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
जो कि ज्ञान योग की परानिष्ठा है, उस नैष्कर्म्य सिद्धि को जिस प्रकार से प्राप्त होकर मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त होता है, उस प्रकार को हे कुन्तीपुत्र तू संक्षेप में ही मुझसे समझ
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
उस पराभक्ति के द्वारा वह मुझ परमात्मा को, में जो हूँ और जितना हूँ, ठीक वैसा-का-वैसा तत्व से जान लेता है तथा उस भक्ति से मुझको तत्त्व से जानकर तत्काल ही मुझमें प्रविष्ट हो जाता है
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
मेरे परायण हुआ कर्मयोगी तो संपूर्ण कर्मों को सदा करता हुआ भी मेरी कृपा से सनातन अविनाशी परमपद को प्राप्त हो जाता है
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
सब कर्मों को मन से मुझमें अर्पण करके (गीता अध्याय 9 श्लोक 27 में जिसकी विधि कही है) तथा समबुद्धि रूप योग को अवलंबन करके मेरे परायण और निरंतर मुझमें चित्तवाला हो
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
उपर्युक्त प्रकार से मुझमें चित्तवाला होकर तू मेरी कृपा से समस्त संकटों को अनायास ही पार कर जाएगा और यदि अहंकार के कारण मेरे वचनों को न सुनेगा तो नष्ट हो जाएगा अर्थात परमार्थ से भ्रष्ट हो जाएगा
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
जो तू अहंकार का आश्रय लेकर यह मान रहा है कि मैं युद्ध नहीं करूँगा तो तेरा यह निश्चय मिथ्या है, क्योंकि तेरा स्वभाव तुझे जबर्दस्ती युद्ध में लगा देगा
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
है कुन्तीपुत्र! जिस कर्म को तू मोह के कारण करना नहीं चाहता, उसको भी अपने पूर्वकृत स्वाभाविक कर्म से बँधा हुआ परवश होकर करेगा
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
है अर्जुना शरीर रूप यंत्र में आरूढ़ हुए संपूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से उनके कर्मों के अनुसार भ्रमण कराता हुआ सब प्राणियों के हृदय में स्थित है
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
इस प्रकार यह गोपनीय से भी अति गोपनीय ज्ञान मैंने तुमसे कह दिया। अब तू इस रहस्ययुक्त ज्ञान को पूर्णतया भलीभाँति विचार कर, जैसे चाहता है वैसे ही कर
☝️👉➡️भगवान श्री कृष्ण
प्रस्तुतीकरण ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़