मायूसी और उदासी के
पतझड़ बीत जाने के बाद,
आता है खुशयों का सावन,
तेरी यादों के साथ ।
बीते वक्त की यादें,
बीज की तरह रोपित होती हैं ।
ह्रदय की सूखी धरती पर,
नयनों की वर्षा से
पुष्पित,पल्लवित होती है ।
तेरी यादों के नव कोंपल फिर ,
फूटते हैं ह्रदय धरा पर,
मधुर स्मृतियों की हरियाली ,
मोहती है मन बार -बार ,
देख कर उस वसुन्धरा को
फिर निकलती है अश्रुधार ।
रोक नहीं पाती हूँ खुद को ,
उस मधुर हरियाली में ,
खो सी जाती हूँ।
फिर एक बार ,
मुदित मन से भीगती हूँ
यादों की बारिश में ,
विरह के पतझड़ के बाद
यादों की फुहार से भीगकर
स्वंय को तृप्त कर जाती हूँ।।
-Sakhi