मुड़ मुड़ कर मेरी आंखों
देखती है मचल मचल कर
आहिस्ता आहिस्ता वो
जब विदा होती है मिल कर
सच कहना, क्या तुम को नहीं
ऐतबार मुझ पर
जो राह-ए-इश्क़ में क़दम
रखती हो यूं संभल कर?
कुछ दिल की कह लो,
कुछ दिल की सुन लो
ज़िंदगी कम है, मर गये तो
रहोगे हाथ मल कर
मुड़ मुड़ कर मेरी आंखों
देखती है मचल मचल कर
आहिस्ता आहिस्ता वो
जब विदा होती है मिल कर
---------------------
-सन्तोष दौनेरिया