रामचंद्र ने रावण मारा !
तोड़ दिया अभिमान भी सारा!!
तुम्हें बताओ क्यु मारा !
उस बुराई को क्यों हटाया?
सुनो मेरी बात बांध लो एक गांठ!
है तुम्हारी भी बेटियां बहने
ना करो कोई ऐसा पाप!!
जीने दो उससे खुलने दो !
ना हो कोइ अभिशाप
रावण तो सब है पर कोई तो बनो राम!!
रावण था दंभि अभिमानी!
उसकी छल बल सबने जानी
20 भुजा 10 सीर कटाई
अपनी लंका खुद ही जलाई!!
द्वेष!
कितना भी हो गहरा
हो न कलुषित मन ये अंधेरा
ना बन सके राम , तो रावण को ना जगाओ!!
पुतलों के दहन का बढ़ने लगा रिवाज!
मन का रावण आज तक ,जला ना सका समाज
रामकृष्ण के नाम धर करते गंदे काम
नवयुग में तो राम का हुआ यूं नाम बदनाम!!
छुप कर बैठा यह दानव, आज हर एक दिल में!
भड़काता बैल की आग हंसते खेलते घरों में
कलुषित मनो वासना को,जो सदा मिटायेंगे
असल मायनों में वे ही दशहरा मनाएंगे!!
Happy dusshera all of you🙏🙏🙏