चेहरा
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हूर सी हसीन है वो, दिखाया आपने
रुख़ से आज जो पर्दा हटाया आपने
रू-ब-रू हुआ जब चेहरा आपका
हमारे होश को ही उड़ाया आपने
हर सिम्त रोशन है आपके नूर से
अपना जो जल्वा दिखाया आपने
नज़्म में आप,हर ग़ज़ल में आप हो
लफ़्ज़ लिखना हमें सिखाया आपने
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-सन्तोष दौनेरिया
(रुख़ - चेहरा, रू-ब-रू - सम्मुख, सिम्त - दिशा, रोशन - प्रकाशमान्, नूर- प्रकाश, जल्वा - तेज़, लफ़्ज़ - सार्थक शब्द।)
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