My Wonderful Poem...!!!
जीं आज़ाद रहिए विचारों से
मगर बंधे रहिए संस्कारो से
करते रहिए भले ही मनमानी
गिरे ना क़भी अपनी नज़र से
फ़ैशन करना कोई गुनाह नहीं
पर बंधे रहिए अपनी मर्यादा से
लोग सही को ग़लत ओर ग़लत
को सही बना देते हे परवाह ना
कीजिए, काम लिजीए दिल से
नारी सदा ही पिसतीं आईं जहाँमें
पर अब वक़्त बदला इनके कर्म से
एक नारी है सौ पर भारी जता दिया
हर हुनर हर फ़न हर सिम्तोंमें ढल के
प्रभुजी कीं नायाब रचना आज पहुँचीं
फ़लक तक सुनीता विलियम नाम से
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