My Wonderful Poem...!!!
दुनिया के कुमार जानत हैं कि
कौन बर्तन पक्का या कच्चा है
कौन बर्तन में कमीं या ख़ूबी है
कौन बर्तन कब तक टिकना है
तों क्या उस सृष्टि रचयिता व
जगत् पालनहार नहीं जानत है
कि कौनसा मिट्टी का ढाँचा है
जो कच्चा या कौनसा पक्का है
कौनसा बर्तन कब क्या सौचें है
कौनसा बर्तन कब क्या नोचे है
कौनसे बर्तन कब क्या करना है
कौनसे बर्तन कब तक यहाँ रहेंगे
कौनसे बर्तन यहाँसे रुखसद होंगे
कौनसा बर्तन कब तक उसका है
कौनसा बर्तन उसके ही ख़िलाफ़ है
देवत तो है वह ढील जानबूझकर
पर वक़्त आने पे कोरोना भी देवत है
सौ यारों बचो उसकी लठ से दिखत
तो नहीं जो पर पड़त वह उठत ना ही
सौ डरो यारों उस अनदेखी लठ से..!!
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