My Meaningful Poem...!!!!
अब कहाँ तक भरूँगा,
मैं अपने ज़ख़्म तुम्हारे दिलासों से
इतने ही खैरख़्वाह हो,
तो मेरे साथ आप भी रोते क्यों नहीं
बेवजह तो नही उदासी,
दिल की,आमालो का हरजाना महँगा
या सस्ता अपने ही कर्म के,
फ़ैसले मेरे साथ आप क़बूलते क्यों नही
दिखावों के लगाव की चादर,
लफ़्ज़ोंकी बानीसे बुन के सब ओढ़ाएँगें
तो जरुर पर हमराह बन कर,
जंग पथ मेरे साथ आप चलते क्यों नही
दुश्वारियाँ कठिनाईयाँ ही तो,
इम्तिहान लेतीं हैं अपनों में बसें ग़ैरों का
पथ पथरीली भले ही क्यों न हो,
हमदर्दी मेरे साथ आप जताते क्यों नही
प्रभुके दरबार में देर है अंधेर नही,
कहते तो है लोग बड़े चाव-ओ-लगावसे
पर वक़्तकी दहलीज़ पे वक़्त आने पे,
मेरे साथ आप यही बात पे चलते क्यों..
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