आरती श्री
गणेश जी की
ब्रह्मदत्त
श्री गणेशजी की आरती
lalied
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एक दंत दयावन्त चार भुजा धारी
मस्तक सिन्दूर सोहे मुसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डू अन का भोग लागो सन्त करे सेवा
अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया
हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
सूरश्याम ' शरण आए सुफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
{{"विघ्न-
- हरण मंगल - करण, काटत सकल कलेस
सबसे पहले सुमरिये गौरीपुत्र गणेश"}}
((गणेश जी को पार्वती जी का दुलारा कहा जाता है, गणेश जी को गजानंद
के नाम से भी जाना जाता है यही कारण है कि समस्त भक्तजन इनकी
दुःख हरता के नाम से आरती करते हैं| ऐसा माना जाता है कि गणेश जी
की आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं| ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़))