Hindi Quote in Poem by Prem Nhr

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" सुबह-सुबह मेरे घर आँगन में ...
उड़कर कहीं से आयी चिड़िया।
चीं-चीं, चीं-चीं चहचहायी चिड़िया।
सुन्दर सुनहरे पंखों वाली...
स्वछंद सी मतवाली चिड़िया..।

मैं भी तो चिड़िया, अपने घर की,
सुबह-सुबह जल्दी उठ जाती,
सबको उठती चाय पिलाती,
फिर चिड़िया सी खूब चहकती...
आहा! मैं उड़ रही हूँ,
भावनाओं के पंख लगाकर,
विचारों के उन्मुक्त गगन में...

बाज सरीखे कुछ लोगों से,
मैं खुद को भी बचा लेती..
उजले चेहरे, दिल के काले
लोगों को मैं सबक सिखाती।

सोचती हूँ कभी-कभी मैं;
एक्वेरियम की मछलियाँ भी
अपने सौंदर्य की कीमत चुकाती हैं,
सुंदरता के कारण ही वो,
ज़िन्दगी भर की सजा सी पाती हैं...।

सुन्दर होना कोई गुनाह तो नहीं?
पाप नहीं, अपराध नहीं,
परवाह मुझे नहीं, गिद्धों-कौवों की,
मनुज देह में छुपे हुए भेड़ियों की सियारों की..

धैर्य बहुत है, दया भी मुझ में
शर्म भी है हया भी मुझ में।
देवी सीता सी गम्भीर भी मैं,
करुणा की मूरत सी हूँ मैं,
हूँ ममता से पूरित भी मैं।।

तू ना समझ मुझे निरीह-लाचार हूँ मैं,
तू समझ दुर्गा सिंह पे सवार हूँ मैं।
मेरा घर संसार ऐसे ही नहीं बना है,
मैंने शील, सौंदर्य और क्षमा के रूप में
लक्ष्मी, सरस्वती और उमा को जन्मा है।।

मैं उन्मुक्त हूँ, रहूँगी उन्मुक्त सदां,
मैं खुश थी और खुश रहूँगी सदां।
मैं सपने सुनहरे सजाऊँगी।
मैं अपनी प्यारी बेटियों को
स्वाभिमान से जीना सिखाऊँगी।।

अगर जो कोई उलझेगा मुझसे,
शिकार नहीं शिकारी हूँ मैं..
बिन हथियार, प्रहार बिन
पल में संहार कर जाउँगी,
उसे गिरा दूँगी मैं नज़रों से ही,
गिरे हुए जो पहले से ही वो
भला और क्या संभल पाएँगे...।।"

परमानन्द 'प्रेम' 💞

🌹*꧁༒  जय माता दी  ༒꧂*🌹
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-Prem Nhr

Hindi Poem by Prem Nhr : 111589286
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